आसान नहीं था सब कुछ, फिर भी करके मैं दिखा सकी बनाकर पहचान अपने, अस्तित्व को मैं बचा सकी! आसान नहीं था सब कुछ, फिर भी करके मैं दिखा सकी बनाकर पहचान अपने, अस्तित्व को ...
जीर्ण-क्षीण दीवारों-सा मैं रोज-रोज ही ढहता हूँ, अंधियारी रातों में सूने मन से मैं कुछ कहता हूँ... जीर्ण-क्षीण दीवारों-सा मैं रोज-रोज ही ढहता हूँ, अंधियारी रातों में सूने मन से म...
चलो उठो तुम क्यों बैठे हो, अब किसी की आस में। तू क्यों कर रहा व्यर्थ में चिंतन, सब है चलो उठो तुम क्यों बैठे हो, अब किसी की आस में। तू क्यों कर रहा व्यर्थ में चिंत...
ज्यों चांदनी रात बनाने को, बस एक चाँद भी काफी है, ज्यों चांदनी रात बनाने को, बस एक चाँद भी काफी है,
दिल के अंतस से उपजी एक कविता..... दिल के अंतस से उपजी एक कविता.....
मिलकर कदम बढ़ाना होगा। सृष्टि पर आए संकट से , सबको हमें बचाना होगा ।। मिलकर कदम बढ़ाना होगा। सृष्टि पर आए संकट से , सबको हमें बचाना होगा ।।